भारतीय सिनेमा में दलित निर्देशकों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपनी फिल्मों के माध्यम से दलितों की पीड़ा, संघर्ष और आकांक्षाओं को बड़े पर्दे पर उतारा है।
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तो चलिए आपको इस web story में, भारतीय सिनेमा के उन शीर्ष 5 दलित फिल्म निर्देशकों के बारें में बताते हैं
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देश के पहले स्टार दलित फिल्ममेकर पा रंजीथ भी उन्हीं में से एक हैं. जो पिछले लंबे समय से अपनी फिल्मों के माध्यम से जातिगत उत्पीड़न और भेदभाव को उजागर कर रहे हैं.
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श्याम बेनेगल ने अपनी फिल्मों के माध्यम से ग्रामीण भारत और दलितों के जीवन पर गहन अध्ययन किया। उनकी फिल्में जैसे 'अंकुर', 'मंथन' और 'समर' दलितों के सामाजिक और आर्थिक मुद्दों को उजागर करती हैं।
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नीष झा भारतीय फिल्म निर्देशक, निर्माता और लेखक हैं। वे हिंदी सिनेमा के महत्वपूर्ण फिल्म निर्माताओं में से एक माने जाते हैं।मनीष झा ने अपनी फिल्मों के माध्यम से गहरे और विचारशील विषयों को उठाया है।
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जानीमानी विज्ञापन और फीचर फिल्म डायरेक्टर गौरी शिंदे उन्होंने दलित महिलाओं के मुद्दों पर आधारित कई लघु फिल्में बनाई हैं। गौरी शिंदे ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत विज्ञापन उद्योग से की थी।
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फिल्म डायरेक्टर नीरज घेवान का जन्म 1983 में उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गृह नगर से प्राप्त की और फिर फिल्म निर्माण में रुचि होने के कारण अपनी आगे की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय से की।