समाज में दलितों ने अपने हक की लड़ाई के लिए सबसे ज्यादा संघर्ष किया है. उनके संघर्ष की यह लड़ाई 100 या 200 वर्षों से नहीं चल रही बल्कि 5 सदियों से चली आ रही है. जिस वजह से कई दलित आन्दोलन हुए चलिए जानते हैं उन दलित आन्दोलन के बारे.
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जातिगत संगठन की दिशा में छत्तीसगढ़ का सतनामी आन्दोलन एक अतुलनीय प्रयास था. इस आंदोलन के जन्मदाता अठारहवीं सदी के गुरु घासीदास बताये जाते हैं.
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हमारी इस लिस्ट का दूसरा आंदोलन है महार आंदोलन...समाज सुधारक गोपालबाबा वलंगकर और शिवराम जानबा कामले के नेतृत्व में दलितों के अधिकार के लिए यह आंदोलन शुरु हुआ था.
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दलित आंदोलनों की सूची में तीसरा आंदोलन है इझवा जागरण आंदोलन...मलाबार, कोचीन जैसे इलाके में इझ़वा या इलवान एक पारंपरिक अछूत जाति थी.
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इसके अलावा दलितों के उत्थान की लड़ाई के लिए हुआ नामशूद्र आंदोलन के योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता.
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इस लिस्ट का पांचवा आंदोलन है नाडार आंदोलन...दरअसल, दक्षिणी तमिलनाडु में ‘शनार’ समाज के लोगों को अछूत माना जाता था. ये वो लोग होते थे जो ताड़ी निकालने का काम करते थे.