क्या कहती है BNS की धारा 108,जानें महत्वपूर्ण बातें

BNS Section 108, BNS Section 108 in Hindi
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BNS Section 108 in Hindi: बीएनएस धारा 108 के अनुसार, बीएनएस की धारा 108 आत्महत्या के लिए उकसाने को गंभीर अपराध मानती है और इसके लिए कठोर सजा का प्रावधान करती है ताकि ऐसे कृत्यों को रोका जा सके जो किसी व्यक्ति को अपनी जान लेने पर मजबूर कर सकते हैं। यह धारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 के समान है, जिसे अब भारतीय न्याय संहिता द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया है। तो चलिए जानते  हैं ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।

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धारा 108 क्या कहती है? BNS Section 108 in Hindi

भारतीय न्यायिक संहिता बीएनएस (BNS) की धारा 108 अगर कोई व्यक्ति आत्महत्या करता है और कोई दूसरा व्यक्ति उसे आत्महत्या के लिए उकसाता है तो इसे बीएनएस की धारा 108 के तहत अपराध माना जाएगा। उकसाने का मतलब है किसी को आत्महत्या करने के लिए मजबूर करना या मदद करना। इसमें आत्महत्या के साधन उपलब्ध कराना, आत्महत्या के विचार को बढ़ावा देना या आत्महत्या की ओर ले जाने वाली परिस्थितियाँ पैदा करना शामिल हो सकता है।

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बीएनएस धारा 108 के उदाहरण

बीएनएस धारा (BNS Section) 108 के कुछ उदाहरण कुछ इस प्रकार हैं कि…उदाहरण 1 – मान लीजिए A और B घनिष्ठ मित्र हैं। B गंभीर आर्थिक संकट में है और अक्सर आत्महत्या के विचार व्यक्त करता है। एक दिन A, B से कहता है, “तुम्हारा जीवन बेकार है। तुम्हें मर जाना चाहिए। मैं तुम्हें ज़हर लाकर दूंगा, और सब कुछ खत्म हो जाएगा।” यदि B, A से ज़हर ले लेता है और आत्महत्या कर लेता है, तो A को BNS की धारा 108 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी ठहराया जा सकता है।

उदाहरण 2 – एक कॉलेज में कुछ सीनियर छात्र एक जूनियर छात्र ‘सी’ को उसकी पढ़ाई और दिखावे को लेकर लगातार ताने मारते और अपमानित करते हैं। वे उस पर इतना दबाव डालते हैं कि ‘सी’ हताश होकर आत्महत्या करने की कोशिश करता है। इस मामले में अगर यह साबित हो जाता है कि ‘सी’ ने सीनियर छात्रों की लगातार प्रताड़ना के कारण आत्महत्या करने की कोशिश की है, तो उन सीनियर छात्रों पर बीएनएस की धारा 108 के तहत आरोप लगाया जा सकता है।

जानिए बीएनएस धारा 108 सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 108 के तहत मिलाने वाली सजा कुछ इस तरह है कि…बीएनएस धारा 108  के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने की सज़ा दस साल तक की कैद और जुर्माना है। यह प्रावधान भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 के समान है, जिसे अब बीएनएस ने बदल दिया है।

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