क्या कहती है BNS की धारा 9, जानें महत्वपूर्ण बातें

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क्या कहती है BNS की धारा 9:  यह धारा कहती है कि अगर कोई व्यक्ति एक ही कृत्य से कई अपराध करता है तो उसे उन सभी अपराधों के लिए अलग-अलग दंड नहीं दिया जाएगा। उसे केवल सबसे गंभीर अपराध के लिए दंड दिया जाएगा, जब तक कि कानून में स्पष्ट रूप से ऐसा करने का प्रावधान न हो। वही धारा 9 इस संहिता में मिश्रित अपराधों के लिए दंड की सीमा को परिभाषित करती है। तो चलिए आपको इस लेख में बीएनएस की धारा 9 को विस्तार में बताते हैं।

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बीएनएस की धारा 9: एक संक्षिप्त विवरण

भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 9, उन परिस्थितियों में दंड की सीमा को तय करती है जब किसी अपराध में कई कार्य या भाग शामिल होते हैं. कई अपराधों से बने अपराध की सजा की सीमा। (1) जहां कोई भी चीज़ जो अपराध है वह भागों से बनी है, जिनमें से कोई भी भाग स्वयं अपराध है, अपराधी को इनमें से एक से अधिक की सजा से दंडित नहीं किया जाएगा यह उसके अपराध हैं, जब तक कि इसे स्पष्ट रूप से प्रदान न किया जाए।

  • अगर कोई अपराध कई कानूनी परिभाषाओं में आता है, तो अपराधी को उससे ज़्यादा सज़ा नहीं दी जा सकती, जो किसी एक अपराध के लिए तय हो.
  • अगर कोई अपराध कई कामों से मिलकर बना है, जिनमें से एक या एक से ज़्यादा काम अपराध हैं, तो अपराधी को उससे ज़्यादा सज़ा नहीं दी जा सकती, जो किसी एक अपराध के लिए तय हो.
  • किसी अपराधी को एक ही अपराधिक कृत्य के लिए कई बार सज़ा नहीं दी जा सकती, सिवाय इसके कि कानून में विशेष प्रावधान हो.
इस धारा के कुछ उदाहरण

अगर कोई व्यक्ति किसी को डंडे से पचास बार मारता है, तो उसे पूरी पिटाई के लिए सिर्फ़ एक ही सज़ा मिलेगी. वही अगर कोई व्यक्ति किसी को पीट रहा है और तभी कोई तीसरा व्यक्ति हस्तक्षेप करता है, तो पीटने वाला व्यक्ति उस तीसरे व्यक्ति पर भी हमला करता है, तो उसे दोनों अपराधों के लिए सज़ा होगी. ये ऐसे अपराध होते हैं जिनमें एक ही कृत्य से कई अपराध सिद्ध हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति किसी की हत्या करके डकैती भी कर सकता है।

इसका मतलब यह हुआ कि:

  • दोहरा दंड: अगर आपने एक ही कृत्य से कई अपराध किए हैं, तो आपको उन सभी अपराधों के लिए अलग-अलग सजा नहीं होगी।
  • सबसे गंभीर अपराध: आपको केवल सबसे गंभीर अपराध के लिए दंडित किया जाएगा।

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