क्या कहती है BNS की धारा 25, जानें महत्वपूर्ण बातें

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BNS Section 25 in Hindi:  बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) एक व्यापक कानूनी दस्तावेज है और इसकी विभिन्न धाराएं अलग-अलग अपराधों और उनके दंडों को परिभाषित करती हैं। लेकिन क्या आप जानते है। बीएनएस (BNS)  की धारा 25  क्या कहती है, अगर नहीं तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं..बीएनएस (BNS) की धारा 25, भारतीय दंड संहिता की धारा 87 के समान है और यह दो व्यक्तियों के बीच की सहमति और उससे होने वाले नुकसान से संबंधित है।

धारा 25 क्या कहती है?

BNS की धारा 25 भारतीय न्याय संहिता का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, वही धारा 25 यह कहती है अगर कोई दो वयस्क लोग बिना किसी आपराधिक इरादे से आपस में कोई काम करते हैं, और उसमें से किसी को कोई गंभीर चोट या मौत का खतरा नहीं है, तो ऐसी स्थिति में किसी को अपराध नहीं माना जाएगा.वही कोई भी चीज़ जिसका उद्देश्य मृत्यु या गंभीर चोट पहुंचाना नहीं है, और जिसके कर्ता को यह ज्ञात नहीं है कि इससे मृत्यु या गंभीर चोट लगने की संभावना है, वह किसी भी नुकसान के कारण अपराध है, जो इसके कारण हो सकता है, या इसके द्वारा इरादा किया जा सकता है।

इसमें व्यक्त और निहित सहमति दोनों शामिल हैं. 

  • अगर कोई व्यक्ति किसी ऐसे काम को करने के लिए सहमति देता है, जिससे उसे नुकसान हो सकता है, तो उसे उस नुकसान को सहने के लिए प्रेरित किया जा सकता है. 

धारा 25 का उद्देश्य – BNS Section 25 in Hindi

  • यह धारा बताती है कि यदि दो वयस्क व्यक्ति आपस में सहमति से कोई ऐसा कार्य करते हैं जिसमें किसी को गंभीर चोट या मृत्यु का खतरा हो, तो उस कार्य से होने वाले किसी भी नुकसान के लिए दोनों व्यक्ति जिम्मेदार नहीं होंगे।
  • अप्राधिक उद्देश्य: इस सहमति का उद्देश्य अपराधिक नहीं होना चाहिए। इसका मतलब है कि दोनों व्यक्तियों का इरादा किसी को जानबूझकर नुकसान पहुंचाना नहीं होना चाहिए।
  • खेल और व्यायाम: इस धारा का उपयोग अक्सर खेलों (जैसे कुश्ती, मुक्केबाजी) या अन्य जोखिम भरे व्यायामों में होने वाली चोटों के मामलों में किया जाता है।

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