क्या कहती है BNS की धारा 72,जानें महत्वपूर्ण बातें

BNS Section 72, BNS Section 72 in Hindi
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BNS Section 72 in Hindi: भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 72, जो कोई नाम या किसी भी मामले को मुद्रित या प्रकाशित करेगा जिससे किसी ऐसे व्यक्ति की पहचान हो सके जिसके विरुद्ध धारा 63 या धारा 64 या धारा 65 या धारा 66 या धारा 67 या धारा 68 के अधीन कोई अपराध का आरोप लगाया गया है (जिसे इस धारा में पीड़ित के रूप में संदर्भित किया गया है), वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, दंडनीय होगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा। तो चलिए आपको इस लेख में धारा 72 के बारे में विस्तार से बताते है।

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धारा 72 क्या कहती है? BNS Section 72 in Hindi

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 72, उपधारा (1) में कोई बात पीड़ित के नाम या किसी ऐसी बात के मुद्रण या प्रकाशन पर लागू नहीं होगी, जिससे पीड़ित की पहचान प्रकट हो सकती है, यदि ऐसा मुद्रण या प्रकाशन-

(क) किसी पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी या किसी अपराध की जांच करने वाले पुलिस अधिकारी के लिखित आदेश द्वारा या उसके अधीन, ऐसी जांच के प्रयोजनों के लिए सद्भावपूर्वक कार्य करते हुए किया जाता है; या (ख) पीड़ित के लिखित प्राधिकार द्वारा या उसके साथ; या (ग) जहां पीड़ित की मृत्यु हो गई है, या वह बच्चा है या मानसिक रूप से अस्वस्थ है, वहां पीड़ित के निकटतम संबंधी की लिखित अनुमति द्वारा या उसके साथ:

परंतु निकटतम संबंधी द्वारा किसी मान्यताप्राप्त कल्याण संस्था या संगठन, चाहे वह किसी भी नाम से पुकारा जाए, के अध्यक्ष या सचिव के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को ऐसा प्राधिकार नहीं दिया जाएगा।

स्पष्टीकरण-इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए, “मान्यताप्राप्त कल्याण संस्था या संगठन” का अर्थ है, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त मान्यताप्राप्त सामाजिक कल्याण संस्था या संगठन।

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बीएनएस की धारा 72 के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें

वही इस धारा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना भी है कि किसी व्यक्ति को अनिश्चितता के आधार पर अधिक गंभीर अपराध के लिए गलत तरीके से दंडित न किया जाए। यह धारा धारा 64 से 71 के अंतर्गत आने वाले अपराधों को कवर करती है, जिनमें गंभीर उल्लंघन शामिल हैं, और इसका उद्देश्य इन मामलों में पीड़ितों की पहचान की रक्षा करना है।

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